उर्दू प्रेस रिव्यू: सऊदी अरब की मेहरबानी से बढ़ा पाकिस्तान का फ़ॉरेन रिज़र्व

पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते ख़बर छपी कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी है.

पिछले साल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने सऊदी अरब का दौरा किया था और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 12 अरब डॉलर का विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी.

उस समझौते के तहत सऊदी अरब को तीन अरब डॉलर पाकिस्तान के अकाउंट में भेजना था. एक-एक अरब डॉलर की दो क़िस्त सऊदी अरब पहले ही दे चुका है, इस हफ़्ते उसने तीसरी क़िस्त भी पाकिस्तान को दे दी है.

अख़बार के अनुसार इस समय पाकिस्तान के पास 15 अरब डॉलर से ज़्यादा का फ़ॉरेन रिज़र्व हो गया है.

लेकिन, अख़बार दुनिया के अनुसार सऊदी अरब से मिलने वाली रक़म कोई मदद नहीं बल्कि निवेश है जिस पर पाकिस्तान को सालाना तीन प्रतिशत का ब्याज देना होगा.

अमरीका-तालिबान समझौता
वैसे पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते अमरीका और तालिबान के बीच समझौते से जुड़ी ख़बरें सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियों में रहीं.

अफ़ग़ान तालिबान और अमरीका के बीच समझौता हो गया है.

अख़बार जंग ने सुर्ख़ी लगाई है, ''अमरीका और तालिबान का 17 साल से जारी अफ़ग़ान जंग को समाप्त करने का समझौता हो गया है.''

अख़बार के अनुसार 18 महीने के अंदर अमरीकी सेना अफ़ग़ानिस्तान छोड़ देगी. क़तर की राजधानी दोहा में पिछले छह दिनों से चल रही बातचीत में अमरीका और तालिबान के बीच अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए अहम समझौता हो गया है.

अख़बार के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान के लिए अमरीका के विशेष दूत ज़ल्मे ख़लीलज़ाद अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी से मिलने काबुल गए हैं.

समझौते के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन अख़बार लिखता है कि तालिबान ने अमरीका को विश्वास दिलाया है कि अल-क़ायदा या आईएस जैसे चरमपंथी संगठनों को अमरीका पर हमला करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान की धरती इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी.

तालिबान अब अफ़ग़ानिस्तान सरकार से सीधे बातचीत करने के लिए भी तैयार हो गए हैं. अब तक तालिबान ये कह कर अफ़ग़ानिस्तान सरकार से बातचीत की पेशकश को ठुकराते रहे थे कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार अमरीका की कठपुतली सरकार है और उसे अफ़ग़ानिस्तान की जनता का समर्थन नहीं हासिल है.

पाकिस्तान के अख़बारों में इस ख़बर की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि पाकिस्तान की मदद से दोहा में ये बातचीत शुरू हुई थी. बातचीत में अमरीका और तालिबान के अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधि भी शामिल थे. पिछले साल दिसंबर में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को ख़त लिखकर तालिबान को बातचीत के लिए तैयार करने के लिए पाकिस्तान से मदद मांगी थी.

अख़बार दुनिया ने तालिबान पर गहरी नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रहीमुल्लाह यूसुफ़ज़ई के हवाले से लिखा है कि जुलाई 2018 से ये बातचीत चल रही थी, बीच में इसमें रुकावट पैदा हुई थी लेकिन बातचीत पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई थी.

अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर ने कहा है कि तालिबान और अमरीका को बातचीत की मेज़ पर लाकर पाकिस्तान ने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी की है. पहले ये बातचीत इस्लामाबाद में होने वाली थी लेकिन बाद में दोहा में बातचीत करने का फ़ैसला किया गया.

प्रवक्ता ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान के लिए इस बात की कोई अहमियत नहीं थी कि बातचीत कब और कहां हो. उन्होंने कहा कि अमरीकी सेना इस युद्ध को समाप्त करने में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार करने के बाद ही अमरीका वापस जाएगी.

सके अलावा पाकिस्तान की नई वीज़ा पॉलिसी भी अख़बारों की सुर्ख़ियों में रही.

अख़बार नवा-ए-वक़्त के मुताबिक़ पाकिस्तान ने नई वीज़ा पॉलिसी को लागू किया है जिसके तहत 175 देश के लिए ई-वीज़ा की सहूलियत, 50 देश के नागरिकों को वीज़ा ऑन एराइवल मिलेगा.

अख़बार के अनुसार केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने पत्रकारों को इसकी जानकारी देते हुए कहा, ''सरकार ने 70 साल के बाद नए दौरा की शुरूआत की है. नई वीज़ा पॉलिसी से पाकिस्तान में बहुत बड़ा बदलाव आएगा. पर्यटन नए पाकिस्तान की बुनियाद बनेगा.''

फ़व्वाद चौधरी ने बताया कि भारतीय मूल के अमरीकी और ब्रितानी नागरिकों को भी वीज़ा ऑन एराइवल मिलेगा.

अख़बार के अनुसार एक बहुत ही अहम फ़ैसले की जानकारी देते हुए मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा कि पत्रकारों को वीज़ा देने का फ़ैसला सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करेगा.

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