अभी नहीं बदलेगा DTH रिचार्ज का नियम, TV दर्शकों को राहत

अगर आप TV रिचार्ज के नए नियम को लेकर परेशान हैं तो आपको इस खबर से राहत मिलने वाली है. दरअसल, दूरसंचार नियामक ट्राई ने उपभोक्ताओं को नई नियामक व्यवस्था के तहत चैनल चुनने के लिए एक महीने यानी 31 जनवरी तक का समय दिया है. इससे पहले ट्राई के नए नियम 29 दिसंबर से लागू होने वाले थे लेकिन प्रसारकों और डीटीएच ऑपरेटर्स की अपील के बाद 1 महीने का समय दिया गया है.

ट्राई के सचिव एस के गुप्ता ने कहा, ‘हमने गुरुवार को प्रसारकों, डीटीएच ऑपरेटरों और एमएसओ (मल्टी-सिस्टम ऑपरेटरों) के साथ एक बैठक की.  सभी ने नए नियमों को लागू करने की अपनी तत्परता की पुष्टि की.  हालांकि, उन्होंने अनुरोध किया कि ग्राहकों को कुछ और समय दिया जाए ताकि वे सुगम और व्यवधान मुक्त सेवा के लिए विकल्पों का चयन कर सकें.  ’

क्‍या है नया नियम?

दरअसल, अभी तक ये होता है कि आपको एक 250 रुपये से 300 रुपये तक का एक मासिक प्‍लान रिचार्ज कराना होता था और इसमें आपकी पसंद और नापसंद के कई चैनल मिलते थे. इसके अलावा आपके कई ऐसे भी पसंदीदा चैनल होते थे जिन्‍हें देखने के लिए अतिरिक्‍त कीमत चुकानी पड़ती थी. लेकिन ट्राई के नए नियम के बाद यूजर्स पर कोई भी चैनल थोपा नहीं जा सकता है. यानी यूजर्स को उन्हीं चैनल के लिए भुगतान करना होगा, जिन्हें वो देखना चाहते हैं. इस नई व्‍यवस्‍था के आने के बाद सभी चैनल अलग- अलग या किसी एक बुके में उपलब्ध होंगे. इसके साथ ही यूजर को टीवी स्क्रीन पर प्रत्येक चैनल की कीमत भी बताई जाएगी. 

नहीं बाधित होगी टेलीविजन सर्विस

इससे पहले ऐसा कहा जा रहा था कि आपकी टेलीविजन सर्विस बंद हो जाएगी, लेकिन ट्राई ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था. बीते दिनों ट्राई ने कहा था कि प्रसारण और केबल सेवा के लिये नए नियामकीय रूपरेखा के क्रियान्वयन से टेलीविजन सेवा बाधित नहीं होगी. अब ट्राई ने 31 जनवरी तक ग्राहकों को अपने पसंदीदा चैनल को चुनने का मौका दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना की घोषणा 2019-20 के अंतरिम बजट में या फिर शीत सत्र के समापन के बाद की जा सकती है. इसके अलावा पहले चरण में लघु और सीमांत किसान को शामिल किया जा सकता है. बता दें कि देश भर में करीब 9 से 11 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. इससे पहले तेलंगाना की तर्ज पर ओडिशा और झारखंड की सरकारों ने भी रैयत बंधु जैसी योजना लागू करने का एलान कर चुकी हैं.

इन विकल्‍पों पर भी हो रहा विचार!

इसके अलावा भी किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्‍पों पर मंथन जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों और अधिकारियों के बीच छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में फसल बीमा देने और उधारी योजनाओं में कुछ फेरबदल करने पर भी चर्चा हुई है. बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से अलग-अगल फसलों के लिए 2 से 5 फीसदी तक की दर से प्रीमियम वसूला जाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को आय मुहैया कराने की योजना पर सरकारी खजाने पर शुरुआती दौर में करीब 600 से 700 अरब रुपये का बोझ आने का अनुमान है. इस योजना में आने वाली कुल खर्च में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी, इस पर विचार हो रहा है.

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