नेपाल के भारतीय नोट बैन करने से कौन हैं परेशान? - ग्राउंड रिपोर्ट
भारत और नेपाल भौगोलिक रूप से भले दो संप्रभु देश हैं, लेकिन दोनों देशों के नागरिकों के बीच भावनात्मक संबंधों में कोई सरहद नहीं है.
दोनों देशों के लोगों के बीच इतनी क़रीबी है तो सरकारें वैसे फ़ैसले क्यों लेती हैं जिनसे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है.
सुबह का वक़्त है. जगह, नेपाल और भारत की सीमा बीरगंज. बिहार के रक्सौल से नेपाल जाने वाले गेट के पास सुबह ट्रकों की लंबी क़तार दूर से दिख रही है.
माल से लदे इन ट्रकों के बीच फूलों से सजी छोटी-छोटी कारें भी हैं. इन कारों में बैठे हैं बीती रात शादी कर एक-दूसरे के हुए दूल्हा और दुल्हन.
बिहार में रक्सौल सीमा से नेपाल की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले बीरगंज में मेरे साथ जा रहे स्थानीय पत्रकार अभिषेक पांडे कहते हैं, "दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का संबंध है. यानी, न सिर्फ़ व्यापार बल्कि एक जैसी सामाजिक संरचना, परंपरा, धर्म, रहन-सहन, और बोली के कारण दोनों देशों के बीच शादी-ब्याह का भी संबंध है."
बिहार के रक्सौल और नेपाल के बीरगंज के बीच एकदम सीमा पर स्थित शंकराचार्य द्वार से चाहे भारत से नेपाल जाना हो या नेपाल से भारत आना हो, दोनों में कोई झंझट नहीं है.
नेपाल में भारतीय नोटों पर पाबंदी
अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो बीरगंज भनसार कार्यालय (कस्टम ऑफिस) से एक पर्ची कटानी होगी, जिसमें दिन भर के लिए दूसरे देश में अपनी गाड़ी रखने के अनुमति भी मिल जाती है.
लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से लोगों को परेशानी हो रही है. ये परेशानी सीमा पार करने में नहीं, बल्कि सीमा पार पैसे ले जाने में हो रही है.
नेपाल सरकार ने भारत के नए नोटों (दो सौ रुपए, पांच सौ रुपए और दो हज़ार रुपए) को अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया है.
लेकिन नेपाल सरकार के फ़ैसले से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में कड़वाहट आ रही है.
ख़ासकर नेपाल और भारत के सीमावर्ती इलाक़ों में इस कारण आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है.
नेपाल की सीमा से सटे बिहार के क़रीब सात ज़िले सुपौल, मधुबनी, अररिया, सहरसा, किशनगंज, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के व्यापारियों और आम लोगों के लिए जिनका काम और व्यापार नेपाल में है उन्हें ख़ासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
सीमावर्ती इलाक़ों के व्यापारी और आम लोग भारतीय करेंसी में ही कारोबार करने को प्राथमिकता देते थे क्योंकि भारतीय करेंसी नेपाली करेंसी की तुलना में ज्यादा क़ीमती है.
बिहार के रक्सौल के व्यापारी राकेश कुमार जो नेपाल के बीरगंज स्थित आदर्श नगर में नेपाल स्पोर्ट्स सेंटर (खेल के सामानों का स्टोर) चलाते हैं, रोज रक्सौल स्थित अपने घर से नेपाल आते हैं और दिन भर स्टोर चलाने के बाद शाम को अपने घल लौटते हैं.
बीबीसी से बातचीत में राकेश कुमार कहते हैं, "आज (रविवार) सुबह आते हुए उन्हें दिखा की सीमा पर तैनात नेपाल की पुलिस लोगों के पर्स तक चेक कर रही है, कि वे अपने साथ बैन करेंसी नोट लिए हैं या नहीं! अभी तक तो कई लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं है. सरकार तो नोट बैन कर दिया मगर अभी तक ना ही इस तरफ़ और ना ही उस तरफ़ ऐसी कोई सूचना लिखी मिलती है. अगर इसी तरह सख्ती बरती जाने लगी तो आने वाले दिनों में बहुत समस्या आएगी."
दोनों देशों के लोगों के बीच इतनी क़रीबी है तो सरकारें वैसे फ़ैसले क्यों लेती हैं जिनसे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है.
सुबह का वक़्त है. जगह, नेपाल और भारत की सीमा बीरगंज. बिहार के रक्सौल से नेपाल जाने वाले गेट के पास सुबह ट्रकों की लंबी क़तार दूर से दिख रही है.
माल से लदे इन ट्रकों के बीच फूलों से सजी छोटी-छोटी कारें भी हैं. इन कारों में बैठे हैं बीती रात शादी कर एक-दूसरे के हुए दूल्हा और दुल्हन.
बिहार में रक्सौल सीमा से नेपाल की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले बीरगंज में मेरे साथ जा रहे स्थानीय पत्रकार अभिषेक पांडे कहते हैं, "दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का संबंध है. यानी, न सिर्फ़ व्यापार बल्कि एक जैसी सामाजिक संरचना, परंपरा, धर्म, रहन-सहन, और बोली के कारण दोनों देशों के बीच शादी-ब्याह का भी संबंध है."
बिहार के रक्सौल और नेपाल के बीरगंज के बीच एकदम सीमा पर स्थित शंकराचार्य द्वार से चाहे भारत से नेपाल जाना हो या नेपाल से भारत आना हो, दोनों में कोई झंझट नहीं है.
नेपाल में भारतीय नोटों पर पाबंदी
अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो बीरगंज भनसार कार्यालय (कस्टम ऑफिस) से एक पर्ची कटानी होगी, जिसमें दिन भर के लिए दूसरे देश में अपनी गाड़ी रखने के अनुमति भी मिल जाती है.
लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से लोगों को परेशानी हो रही है. ये परेशानी सीमा पार करने में नहीं, बल्कि सीमा पार पैसे ले जाने में हो रही है.
नेपाल सरकार ने भारत के नए नोटों (दो सौ रुपए, पांच सौ रुपए और दो हज़ार रुपए) को अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया है.
लेकिन नेपाल सरकार के फ़ैसले से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में कड़वाहट आ रही है.
ख़ासकर नेपाल और भारत के सीमावर्ती इलाक़ों में इस कारण आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है.
नेपाल की सीमा से सटे बिहार के क़रीब सात ज़िले सुपौल, मधुबनी, अररिया, सहरसा, किशनगंज, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के व्यापारियों और आम लोगों के लिए जिनका काम और व्यापार नेपाल में है उन्हें ख़ासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
सीमावर्ती इलाक़ों के व्यापारी और आम लोग भारतीय करेंसी में ही कारोबार करने को प्राथमिकता देते थे क्योंकि भारतीय करेंसी नेपाली करेंसी की तुलना में ज्यादा क़ीमती है.
बिहार के रक्सौल के व्यापारी राकेश कुमार जो नेपाल के बीरगंज स्थित आदर्श नगर में नेपाल स्पोर्ट्स सेंटर (खेल के सामानों का स्टोर) चलाते हैं, रोज रक्सौल स्थित अपने घर से नेपाल आते हैं और दिन भर स्टोर चलाने के बाद शाम को अपने घल लौटते हैं.
बीबीसी से बातचीत में राकेश कुमार कहते हैं, "आज (रविवार) सुबह आते हुए उन्हें दिखा की सीमा पर तैनात नेपाल की पुलिस लोगों के पर्स तक चेक कर रही है, कि वे अपने साथ बैन करेंसी नोट लिए हैं या नहीं! अभी तक तो कई लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं है. सरकार तो नोट बैन कर दिया मगर अभी तक ना ही इस तरफ़ और ना ही उस तरफ़ ऐसी कोई सूचना लिखी मिलती है. अगर इसी तरह सख्ती बरती जाने लगी तो आने वाले दिनों में बहुत समस्या आएगी."
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